जानिए मॉब लिंचिंग क्या होता है और इसका देश
और समाज में क्या प्रभाव पड़ता है
जानिए मॉब लिंचिंग क्या होता है |
mob meaning
mob =भीड़
lynch meaning
lynching =हत्या
mob lunching में lunching शब्द अमेरिकी सिविल वार (घरेलू युद्द ) से आया है
मॉब लिंचिंग क्या है
आसान शब्दों में समझे तो भीड़ के द्वारा हत्या
mob lunching (मोब लिंचिंग क्या है) क्या होता है ?
mob lunching की घटनाये आज कल में में शुरू हुयी कोई घटना नहीं है बल्कि ये तो कई सदियों पहले से चली आ रही है जो की सबसे पहले यूरोप अमेरिका से होकर भारत में आयी है
अमेरिका जैसे देशो मे बहुत से राज्यों में भीड़ों द्वारा की जाने वाली हत्याओं का एक लंबा इतिहास रहा हैं जिसे लिंचिंग कहा गया अमेरिकी गृह युद्ध के खत्म होने के बाद जैसे ही कालों को बराबरी के अधिकार मिले वैसे ही गोरों ने कालों की लिंचिंग्स शुरू कर दी थीं
जिसके पीछे बुद्दीजीवियो का मानना है की ये एक तरह का राजनेतिक हथकंडा है जिसमे की देश में विभिन्न गुटों को आपस में लड़वाने की कोशिश की जा रही है. राष्ट्रवाद, गौरक्षा घर वापसी, लव जिहाद, गोरक्षा, बच्चा चोरी , और अन्य कई मामलो में भावनाओं को नुकीला बनाया जा रहा है ताकि लोग आपस में लड़ें और राजनीतिक दल उनपर राज करें. और ये एक तरह का डिवाडड एंड रूल यानी फुट डालो और शासन करो का 21 सदी का तरीका है
"जिस किसी घटना में भीड़ द्वारा किसी मामले में कानून की मदद न लेते हुए भीड़ खुद ही किसी मामले में किसी को अपराधी मानकर उसकी हत्या कर देती है ये mob lunchingकहलाता है"
‘भीड़ द्वारा हत्या (Mob Lynching)’ की निरन्तर बढ़ती घटनाएँ देश की सामाजिक व
सांस्कृतिक व्यवस्था को गंभीर क्षति पहुँचा रही हैं।
‘विश्व-बंधुत्व’ और ‘अहिंसा परमोधर्मः’ की शिक्षा देने वाले भारत में हाल ही में हुई कुछ घटनाएँ परेशान करती हैं।
पिछले कुछ समय से भीड़ द्वारा लोगों को पकड़कर मार डालने की घटनाएँ हुई हैं। इन
घटनाओं में कोई गौमांस खाने का तथाकथित आरोपी था,
कोई दुष्कर्म का
आरोपी था, कोई गायों को वधशाला के लिये ले जाने का तथाकथित दोषी तो कोई चोरी करने का दोषी था। कश्मीर में तो
हाल ही में एक पुलिस अधिकारी को बिना वजह ही भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। ऐसी
घटनाएँ उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू और कश्मीर आदि राज्यों में हुई हैं।
भीड़ द्वारा हत्या अनुचित व आपराधिक कृत्य है, क्योंकि-
§
भीड़ कभी भी आरोपी को अपना पक्ष बताने का अवसर नहीं देती।
§
भीड़ में सभी लोग अतार्किक तरीके से हिंसा करते हैं।
§
ऐसे कृत्य से कानून, विधि की उचित प्रक्रिया व प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन होता है।
संविधान में
जीवन के अधिकार को ‘मूल अधिकारों’ को श्रेणी में रखा गया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद-21
कहता है- ‘किसी व्यक्ति को, उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा
स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा, अन्यथा नहीं।’ भीड़ द्वारा हमला और हत्या को व्यक्तिगत
स्वतंत्रता और जीवन के मौलिक अधिकार पर ‘वीभत्स’ हमले के रूप में देखा जा सकता है।
भारत एक बहुभाषी,
बहुधर्मी और
बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है। यहाँ प्रत्येक नागरिक को विचार,
विश्वास,
धर्म,
उपासना और
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है। साथ ही, यहाँ की संस्कृति भी मिल-जुलकर रहने तथा ‘वसुधैव-कुटुम्बकम्’
के मूल्य को
महत्त्व देती है। एक सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि भारत की लोकतांत्रिक
प्रणाली में ‘विधि का शासन’ निहित है। यहाँ प्रत्येक नागरिक से अपेक्षा की जाती
है कि वह कानून
का उल्लंघन न करे और किसी प्रकार की गैर-कानूनी गतिविधि न करें।
यदि किसी
व्यक्ति से कोई अपराध हुआ है (चोरी, गौ-तस्करी) तो उसे सजा देने का हक कानून को है,
न कि जनता उसकी
सजा तय करेगी। गांधी जी ने भी कहा है कि ‘साध्य’ की पवित्रता के साथ-साथ ‘साधन’ की पवित्रता भी बहुत जरूरी है। अपराधी को स्वयं
सजा देना कानूनी तौर पर तो गलत है ही नैतिक तौर पर भी अनुचित है। ऐसी घटनाएँ देश
की एकता व अखण्डता को नुकसान पहुँचाती है तथा विखण्डनकारी शक्तियों को देश में
अशांति फैलाने के लिये आधार उपलब्ध कराती हैं। अतः ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो,
इसके लिये सरकार
को कड़े कदम उठाने होंगे।
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